नमस्ते!
मैं यह टॉपिक इसलिए बना रही हूँ ताकि आपसे हिंदी के कुछ मददगार टिप्पणियाँ सांझा कर सकूँ। जब भी मैं हिंदी में अनुवादित कोई ड्रामा देखती हूँ तो अक्सर मेरी मुलाकात कुछ मामूली गलतियों से हो ही जाती है; वे गलतियाँ ऐसी होती हैं जिन्हें उपशीर्षक बनाते वक्त थोड़ा और ध्यान देने से दूर किया जा सकता है।
जब भी मैं अपनी टीमों को फीडबैक देती हूँ तो मुझे अलग-अलग टीमों में वही कुछ बातें बार-बार दोहरानी पड़ती हैं। एक तरह से, मैं इस टॉपिक का इस्तेमाल अपनी टीमों को फीडबैक देने के लिए भी किया करूँगी।
अगर आप भी मेरी इन युक्तियों में कुछ और शामिल करना चाहते हैं तो आपका स्वागत है
हिंदी | अंग्रेज़ी |
---|---|
यह | This |
वह | That |
ये | These |
वे | Those |
नोट: आजकल ये दो शब्द – ये/वो इन चारों शब्दों के लिए प्रचलन में हैं – This/These/That/Those
यह मानक हिंदी के नियमों के खिलाफ है। एडिट करते वक्त मैं ‘ये’ के गलत इस्तेमाल को एडिट कर देती हूँ और ‘वो’ को भी एडिट कर देती हूँ। हालाँकि कई टीमें अपनी पसंदनुसार इन दोनों गलत शब्दों का भी प्रयोग करते हैं।
जब कोई संज्ञा/विषय वक्ता के करीब होती है तो ‘यह/ये’ का इस्तेमाल होता है।
जब कोई संज्ञा/विषय वक्ता से दूर होती है तो ‘वह/वे’ का प्रयोग होता है।
कुछ अनुवादक संज्ञा/विषय के पास या दूर होने के बावजूद ‘वो’ का इस्तेमाल करते हैं; यह गलत है। अगर संज्ञा/विषय वक्ता (speaker) के करीब हो तो ‘यह/ये’ का प्रयोग जरूरी है।
अनुस्वार का इस्तेमाल
कई अनुवादक अक्सर शब्दों में अनुस्वार (ं) नहीं लगाते हैं। अनुस्वार लगाने से शब्द का उच्चारण और कई बार शब्द का वचन बदलता है।
निम्नलिखित शब्दों में कई बार अनुस्वार न लगाने की गलती हो जाती है:
गलत | सही | टाइप करने के लिए अंग्रेज़ी |
---|---|---|
तुम्हे | तुम्हें | tumhen |
हमे | हमें | hamen |
इन्हे | इन्हें | inhen |
उन्हे | उन्हें | unhen |
मे | में | men |
मै | मैं | main |
क्यो | क्यों | kyon |
है (बहुवचन) | हैं | hain |
हैं | है (एकवचन) | hai |
आकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के बहुवचन रूप में अंत में ‘अ’ के स्थान पर ‘एँ’ लगता है:-
एकवचन | बहुवचन |
---|---|
गाय | गायें |
चाल | चालें |
बात | बातें |
इत्यादि।
जी एवं श्री का प्रयोग
जब ‘जी’ का इस्तेमाल किसी नाम के पीछे इज्जत देने के लिए किया जाए तो ‘जी’ और नाम को पृथक लिखा जाना चाहिए; जैसे–
पिता जी, माँ जी, दादा जी
अगर ‘जी’ को संज्ञा से जोड़कर लिखा जाए तो शब्द का अर्थ बदल सकता है; जैसे–
माँजी का अर्थ बर्तनों का माँजना हो जाता है।
अगर ये शब्द किसी के नाम में ही हैं तो इन्हें जोड़कर लिखा जाना चाहिए: जैसे–
शिवाजी महाराज, श्रीदेवी, इत्यादि
कारक
कारक को हमेशा सर्वनाम से जोड़कर लिखा जाना चाहिए। हिंदी के सर्वनाम हैं; मैं, हम, तू, तुम, आप, वह, उस, इस, यह, कोई, कुछ, कौन, क्या, जो-सो, अपने आप/स्वयं + उर्दू का खुद
कारक हैं– ने, को, से/द्वारा, के लिए, से, का/के/की/रा/रे/री, में/पर, हे/अरे।
सर्वनाम को हमेशा कारक से जोड़कर लिखना चाहिए।
- मैंने, आपने, तुझे, उसको, तुम्हारा, इसपर
न एवं ना
यह मैंने @jawdawala2121_624 के ही पूछे गए एक सवाल की बदौलत सीखा है
‘न’ निषेधवाचक क्रियाविशेषण होता है। इसका इस्तेमाल वाक्यों में कुछ इस प्रकार होता है:-
“यहाँ ऐसा कुछ न करो।”
‘ना’ का इस्तेमाल वाक्यों में को प्रश्नवाचक बनाने या फिर थोड़ा असर डालने के लिए होता है; जैसे–
“मैंने ठीक किया ना?”
रू एवं रु
र में जब ऊ की मात्रा लगती है तो र कुछ इस प्रकार दिखाई देता है:
रू
र में जब उ की मात्रा लगती है तो र इस तरह दिखाई देता है:
रु
दोनों के बीच का अंतर ध्यान में रखना जरूरी है। इनकी गलती की वजह से जरूरी को कई अनुवादक अक्सर जरुरी लिख देते हैं।
अनुवादन में बार-बार विषय का प्रयोग
जब हम रोजमर्रा की ज़िंदगी में बातें करते हैं तो हम बार-बार अपनी बातों के विषय को दोहराते नहीं हैं। हिंदी में अंग्रेज़ी की तरह विषय दोहराने की जरूरत नहीं होती है। चूँकि अंग्रेज़ी उपशीशर्क में विषय बार-बार दोहराया जाता है तो अनुवादक अक्सर अपने उपशीर्षकों में भी विषय दोहरा देते हैं, जिससे वाक्य पढ़ने में बेढंगे लगने लगते हैं और उपशीर्षक फालतू में लंबा हो जाता है।
तुम, आप, तू, मैं, क्या जैसे शब्द उपशीर्षकों से हटाए जा सकते हैं, इनकी गैर-मौजूदगी में भी उपशीर्षक का मतलब साफ दिखाई दे जाता है।
उदाहरण:
अंग्रेज़ी | विषय के साथ | विषय के बिना |
---|---|---|
Can you do it? | क्या तुम इसे कर सकती हो? | (तुम) कर सकती हो? |
Yes, I can do it. | जी, मैं इसे कर सकती हूँ। | जी, कर सकती हूँ। |
अल्प विराम
अल्प का अर्थ है थोड़ा। इसमें अर्ध की अपेक्षा कम ठहराव होता है। अंग्रेज़ी में अल्प विराम का प्रयोग बहुत होता है पर अंग्रेज़ी की तुलना में हिंदी में इसका प्रयोग कम होता है। इसके बावजूद पूर्ण विराम के बाद, अल्प विराम का प्रयोग हिंदी में सबसे ज्यादा होता है।
अल्प विराम – comma
जहाँ भी बोलते वक्त थोड़ा रुकने की आवश्यकता हो, वहाँ पर अल्प विराम आएगा।
लेकिन देखने वाली बात यह है कि हिंदी में पहले से ही कुछ ऐसे शब्द मौजूद हैं जिनके आगे या पीछे अक्सर अल्प विराम नहीं लगाया जाता। अलग-अलग विद्वानों की इसपर अपनी-अपनी राय है।
हिंदी में कि, तो, लेकिन, पर, किंतु, परंतु, तथा, और जैसे शब्दों को पूर्ण विराम की जरूरत नहीं पड़ती है।
कथन
जब किसी की बात ज्यों की त्यों लिखी जाए तो इस तरह लिखा जाता है:-
नेता जी ने कहा था– “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा।”
जब किसी की बात ज्यों की त्यों न लिखी जाए तो इस तरह लिखा जाता है:-
नेताजी ने कहा था कि हम उन्हें खून देंगे और वे हमें आज़ादी देंगे।
या
नेताजी ने कहा था, हम उन्हें खून देंगे और वे हमें आज़ादी देंगे।
-सा, -सी, -से
जब विशेषण के पीछे ‘सा/सी/से’ लगता है तो बीच में योजक चिह्न लगता है।
हल्का-सा, ऊँचा-सा, अच्छी-सी, अच्छे-से।
-से का इस्तेमाल बहुत जरूरी है लेकिन ध्यान से किया जाना चाहिए; गलत इस्तेमाल से वाक्य का मतलब बदल सकता है।
मुझ-से लोग अच्छे हैं – People like me are good.
मुझसे लोग अच्छे हैं – People are better than me.
विस्मयादिबोधक शब्द
हिंदी में निम्नलिखित शब्द हैं:-
अहा, वाह, शाबाश, आह, हाय, हैं, अरे रे, अरे, छिः, धत्, ओ, हे, अच्छा, अजी, लो, ओय, आदि।
मैंने कई ड्रामा में “हाय” को कई प्रकार की वर्तनी के साथ देखा है। इनमें से कुछ हैं:-
हाए, हाये, हाई, हाइ।
रेणु द्वारा लिखित व्याकरण निकुंज (जिसका इस्तेमाल कई स्कूलों में भी होता है) में हाय का इस्तेमाल किया है।
“हाय! यह क्या हो गया!”
अगर आप इसे पढ़ रहे हैं तो मुझे आपसे एक सवाल भी पूछना है, इस सवाल का जवाब मैं बहुत समय से ढूँढ रही हूँ लेकिन किसी साइट या पुस्तक में जवाब मिला नहीं।
आप “Hi/Hey” के लिए क्या इस्तेमाल करते हैं?
हे? हाई? हाइ? हेय? नमस्ते?
हे - इस विस्मयादिबोधक शब्द संबोधन सूचक है; जैसे–
हे राम! हे प्रभु!
हाई - यह शब्द पहले ही अंग्रेज़ी के शब्द “High” के लिए इस्तेमाल होता है।
हाई स्कूल, हाई कोर्ट।
फिलहाल के लिए बस इतना ही है। चूँकि इस टॉपिक को मैंने अपने निजी काम के लिए भी बनाया है, मैं अक्सर जनरल फीडबैक के लिए इस टॉपिक का इस्तेमाल करूँगी। अगर आपको भी इसमें कुछ जोड़ना है या पूछना है तो बेझिझक कीजिए।